नई दिल्ली। आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) ने कुछ लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क बेस्ड इंट्रेस्ट रेट से लिंक करने का जो निर्देश जारी किया है, उससे बैंकों की क्रेडिट रेटिंग पर दबाव बन सकता है।
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कहा कि रिस्क मैनेजमेंट के मामले में उनकी फ्लेक्सिबिलिटी सीमित हो सकती है। आरबीआई ने पिछले हफ्ते कहा था कि बैंक पॉलिसी रेट यानी रीपो रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों को संतोषजनक तरीके से नहीं दे रहे हैं, इसलिए उसने लेंडर्स के लिए पर्सनल और रिटेल लोन के अलावा रूस्रूश्व लोन के सभी नए फ्लोटिंग रेट को एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करना अनिवार्य कर दिया है।रिजर्व बैंक इस साल अब तक इंट्रेस्ट रेट में 110 बेसिस प्वाइंट की कटौती चुका है, लेकिन लेंडर्स ने लोन के इंट्रेस्ट रेट में मामूली कमी की है और रेट कट से हुए लाभ का एक हिस्सा अपने ग्राहकों को ट्रांसफर किया है। मूडीज ने एक बयान में कहा है, यह बैंकों की क्रेडिट रेटिंग के लिए नेगेटिव है, क्योंकि इससे इंट्रेस्ट रेट रिस्क मैनेजमेंट की उनकी फ्लेक्सिबिलिटी कम हो जाएगी। बैंकों को अपने लोन का फ्लोटिंग रेट जिस एक्सटर्नल रेफरेंस से लिंक करना है वह रेपो रेट, तीन या छह महीने का ट्रेजरी बिल या बेंचमार्क रेट प्रकाशित करने वाली फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया का कोई बेंचमार्क इंट्रेस्ट रेट हो सकता है।