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Home अर्थव्यवस्था

वर्ष 2018 में रुपए में रहेगी 6-7 फीसदी की वास्तविक गिरावट

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने लगाया अनुमान

admin@bremedies by admin@bremedies
September 19, 2018
in अर्थव्यवस्था, बिज़नेस रेमेडीज, मुख्य न्यूज़ स्लाइड
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वर्ष 2018 में रुपए में रहेगी 6-7 फीसदी की वास्तविक गिरावट
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वाशिंगटन। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आकलन के अनुसार दिसंबर 2017 की तुलना में इस साल रुपए में छह से सात फीसदी के बीच वास्तविक गिरावट रह सकती है। साथ ही, चेतावनी दी कि इसके चलते तेल एवं पेट्रोलियम उत्पादों जैसे आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ सकता है।
आईएमएफ के प्रवक्ता गैरी राइस ने हालिया महीनों में रुपए में आई बड़ी गिरावट के बारे में कहा कि रुपया इस साल की शुरुआत से अब तक डॉलर के मुकाबले करीब 11 फीसदी गिर चुका है। उन्होंने कहा कि उभरते बाजारों समेत भारत के अधिकांश व्यापारिक भागीदार देशों की मुद्राएं भी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुई हैं।
राइस ने कहा, ‘‘हमारे आकलन के हिसाब से दिसंबर 2017 की तुलना में इस साल रुपये में मूल्य के आधार पर छह से सात फीसदी के बीच वास्तविक गिरावट रह सकती है।’’ भारत के अपेक्षाकृत बंद अर्थव्यवस्था होने का हवाला देते हुए
राइस ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि में शुद्ध निर्यात का योगदान एक बार फिर से अनुमान से बेहतर रहा और रुपये की वास्तविक गिरावट से इसमें और बढ़ोत्तरी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी ओर रुपए की गिरावट से निश्चित तौर पर तेल एवं पेट्रोलियम उत्पादों जैसे आयातित उत्पादों का मूल्य बढ़ेगा जिसका मुद्रास्फीति पर बुरा असर पड़ सकता है।’’ राइस ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) क्रियान्वयन के अवरोधों के बाद मजबूती से सुधार कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हालिया तिमाहियों में वृद्धि दर क्रमिक तौर पर उपभोग एवं निवेश दोनों में सुधर रही है जिसने अर्थव्यवस्था की मदद की है।’’
उन्होंने पहली तिमाही की वृद्धि दर आईएमएफ के पूर्वानुमान से बेहतर होने का जिक्र करते हुए कहा कि हालिया वैश्विक गतिविधियों आदि के मद्देनजर पूर्वानुमान की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से फायदा भी हुआ है और नुकसान भी। उन्होंने कहा, ‘‘नोटबंदी ने धन की आपूर्ति बाधित की, नकदी संकट का कारक बनी और उपभोक्ता एवं कारोबारी धारणा पर भी इसका गलत असर पड़ा। इससे इतर नोटबंदी ने विस्तृत डिजिटलीकरण में मदद की और अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाया, जिससे राजस्व एवं कर अनुपालन बढ़ाने में मदद मिलेगी।’’

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